EMI Bounce Rule : लोन की EMI समय पर न भरने वाले लोगों के लिए एक अहम खबर सामने आई है। देश की हाईकोर्ट ने हाल ही में EMI बाउंस से जुड़े मामलों पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जो न केवल कर्जदारों को सतर्क करेगा बल्कि बैंकों और फाइनेंशियल संस्थानों को भी कानूनी मजबूती देगा। अब EMI बाउंस को हल्के में लेना आसान नहीं होगा, क्योंकि यह न केवल आर्थिक रूप से, बल्कि कानूनी रूप से भी कर्जदारों के लिए गंभीर परिणाम लेकर आ सकता है।
क्या है EMI बाउंस का मामला और क्यों बढ़ रही है चिंता?
देश में पिछले कुछ वर्षों में क्रेडिट लेने वालों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। चाहे वह पर्सनल लोन हो, होम लोन, व्हीकल लोन या कोई भी EMI बेस्ड फाइनेंस – अधिकतर लोग मासिक किस्तों पर ही निर्भर हैं। लेकिन जब ये किस्तें समय पर नहीं चुकाई जातीं और बैंक के खाते में पर्याप्त बैलेंस न होने की स्थिति में EMI बाउंस हो जाती है, तो यह केवल एक बैंकिंग गलती नहीं बल्कि एक कानूनी मामला बन जाता है। बढ़ते EMI बाउंस मामलों के चलते बैंकों और NBFCs को भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है, जिस पर अब कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है।
हाईकोर्ट का फैसला क्यों है इतना महत्वपूर्ण?
हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बार-बार EMI बाउंस होना केवल बैंकिंग नियमों का उल्लंघन नहीं है, बल्कि यह एक धोखाधड़ी की श्रेणी में भी आ सकता है। यदि कोई व्यक्ति बार-बार किस्त न चुकाने के बहाने बनाता है या खाते में जानबूझकर बैलेंस नहीं रखता, तो उस पर आपराधिक मामला दर्ज हो सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि EMI बाउंस का कारण सिर्फ आर्थिक कमजोरी नहीं, बल्कि कई बार जानबूझकर किया गया गैरजिम्मेदाराना व्यवहार होता है, जिसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
अब EMI बाउंस होने पर क्या होंगे कानूनी परिणाम?
नए नियमों के तहत, अगर किसी व्यक्ति की EMI लगातार दो या तीन बार बाउंस होती है, तो बैंक उस व्यक्ति के खिलाफ Cheque Bounce कानून यानी N.I. Act की धारा 138 के तहत मुकदमा दर्ज कर सकता है। इसके अलावा, कई मामलों में लोन को फौरन रिकवरी मोड में डाला जा सकता है। साथ ही क्रेडिट स्कोर पर इसका गहरा असर पड़ेगा और भविष्य में उस व्यक्ति को किसी भी बैंक या वित्तीय संस्था से लोन मिलना लगभग नामुमकिन हो सकता है।
बैंक और कर्जदाता कंपनियों को मिला कानूनी समर्थन
इस फैसले से बैंकों और NBFCs को कानूनी रूप से और अधिक अधिकार मिल गए हैं। अब वे बिना किसी लंबी प्रक्रिया के ऐसे ग्राहकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर सकते हैं, जो बार-बार EMI चुकाने में असफल रहते हैं। यह निर्णय वित्तीय व्यवस्था में अनुशासन लाने के उद्देश्य से लिया गया है ताकि ईमानदार कर्जदारों के साथ न्याय हो सके और जानबूझकर टालने वाले लोगों पर सख्ती हो।
ग्राहक क्या कर सकते हैं यदि EMI चुकाने में असमर्थ हों?
यह जरूरी नहीं कि हर EMI बाउंस धोखाधड़ी की नीयत से हो। कई बार ग्राहकों को अस्थायी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। ऐसे मामलों में सलाह यही दी जाती है कि ग्राहक बैंक से पहले ही संपर्क करें और अपनी स्थिति स्पष्ट करें। आजकल कई बैंक Restructuring Plan या Loan Moratorium जैसी सुविधाएं भी देते हैं, जिनके माध्यम से अस्थायी राहत पाई जा सकती है। लेकिन यदि आप बिना जानकारी दिए EMI छोड़ देते हैं तो यह आपके खिलाफ बड़ा मामला बन सकता है।
क्रेडिट स्कोर पर पड़ने वाला असर और इसका भविष्य
EMI बाउंस से सबसे पहला और गहरा असर क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है। जैसे ही आपकी EMI समय पर नहीं जाती, CIBIL और अन्य क्रेडिट ब्यूरो को यह रिपोर्ट भेज दी जाती है। इससे आपका स्कोर गिरता है और भविष्य में किसी भी प्रकार का लोन या क्रेडिट कार्ड लेना मुश्किल हो सकता है। यदि यह स्थिति बार-बार होती है तो आप defaulter list में आ सकते हैं और आपकी साख हमेशा के लिए खराब हो सकती है।
डिजिटल लोन और फाइनेंस कंपनियों के लिए राहत
यह फैसला डिजिटल लेंडिंग कंपनियों और ऐप-आधारित वित्तीय प्लेटफॉर्म्स के लिए भी राहतभरा है। पिछले कुछ वर्षों में डिजिटल लोन का चलन बढ़ा है, लेकिन रिकवरी की प्रक्रिया में उन्हें कई बार कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ता था। अब इस कोर्ट के निर्णय से डिजिटल फाइनेंस कंपनियां भी तेजी से कार्रवाई कर सकेंगी और ग्राहक पर दबाव बनाकर EMI समय पर वसूल सकेंगी।