DA Hike Update : सरकारी कर्मचारियों के लिए एक बार फिर से खुशखबरी का माहौल बन गया है। केंद्र सरकार द्वारा डीए हाइक यानी महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी की तैयारी के साथ-साथ नए पे कमीशन की संभावनाएं भी तेज हो गई हैं। चर्चा है कि यदि प्रस्तावित 8वें वेतन आयोग को लागू किया जाता है तो न्यूनतम बेसिक सैलरी में भारी इजाफा हो सकता है। मौजूदा स्थिति में जहां बेसिक सैलरी ₹18,000 है, वहीं नई रिपोर्ट्स के मुताबिक यह बढ़कर सीधे ₹51,480 तक जा सकती है। यदि ऐसा होता है तो यह सरकारी इतिहास का सबसे बड़ा वेतन सुधार माना जाएगा।
कैसे हो सकता है ₹51480 बेसिक सैलरी?
कर्मचारी संगठनों की ओर से लंबे समय से मांग की जा रही है कि सातवें वेतन आयोग द्वारा निर्धारित ₹18,000 की बेसिक सैलरी अब वर्तमान महंगाई और खर्च के अनुरूप नहीं है। इसीलिए नए वेतन आयोग की जरूरत महसूस की जा रही है। प्रस्तावित दर के अनुसार यदि फिटमेंट फैक्टर को मौजूदा 2.57 से बढ़ाकर 3.6 किया जाता है, तो न्यूनतम वेतन ₹18,000 से बढ़कर ₹51,480 हो जाएगा। इस वृद्धि से लाखों कर्मचारियों को सीधा लाभ होगा और उनका मासिक वेतन बड़े पैमाने पर बढ़ेगा।
डीए हाइक के साथ क्या होगा कुल सैलरी में फर्क?
हर छह महीने में सरकार डीए यानी महंगाई भत्ता बढ़ाने का ऐलान करती है, जो केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में सीधा इजाफा करता है। वर्तमान में डीए 50% तक पहुंच चुका है और जल्द ही इसमें 4% की और बढ़ोतरी होने की संभावना है। यदि नया वेतन आयोग लागू होता है और बेसिक सैलरी ₹51480 होती है, तो उस पर 50% डीए जोड़ने पर कुल ₹77220 की सैलरी बनती है। यह कर्मचारियों की मासिक आय को पूरी तरह बदल देगा और उनके खर्चों के साथ-साथ बचत क्षमता में भी बड़ा अंतर पैदा करेगा।
किन कर्मचारियों को होगा सबसे ज्यादा फायदा?
इस वेतन संशोधन और डीए हाइक का सबसे अधिक असर उन कर्मचारियों पर पड़ेगा जो अभी सेवा में हैं और जिनकी बेसिक सैलरी वर्तमान में ₹18,000 से ₹25,000 के बीच है। इसके साथ ही ग्रुप C और D के कर्मचारियों को सबसे ज्यादा राहत मिलेगी, क्योंकि उनकी मासिक आमदनी में लगभग दोगुना तक का इजाफा हो सकता है। वहीं, रिटायर्ड पेंशनभोगियों को भी इसका अप्रत्यक्ष लाभ मिलेगा क्योंकि उनकी पेंशन की गणना भी इसी बेसिक सैलरी पर आधारित होती है।
नए पे कमीशन की संभावना और सरकार की तैयारी
हालांकि केंद्र सरकार की ओर से अब तक आधिकारिक रूप से 8वें वेतन आयोग की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है। 2026 में 7वें वेतन आयोग के 10 वर्ष पूरे हो जाएंगे और उस समय तक महंगाई दर में और तेजी आ सकती है। इसलिए सरकार चाहती है कि कर्मचारियों को समय पर राहत मिल सके और वे आर्थिक रूप से मजबूत बन सकें। इसके अलावा लोकसभा चुनाव से पहले कर्मचारियों को बड़ी राहत देना राजनीतिक दृष्टि से भी लाभदायक हो सकता है।
महंगाई और खर्चों में हो रहे बदलाव की भूमिका
बीते कुछ वर्षों में देश में महंगाई दर में भारी इजाफा हुआ है। खाने-पीने की चीजों से लेकर घर, वाहन और शिक्षा तक हर चीज की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। ऐसे में ₹18,000 की मौजूदा न्यूनतम सैलरी एक औसत जीवन यापन के लिए नाकाफी हो गई है। इस वजह से कर्मचारी संघ लगातार नए वेतन आयोग की मांग कर रहे हैं। यदि सरकार ₹51,480 की न्यूनतम बेसिक सैलरी को स्वीकृति देती है तो इससे करोड़ों परिवारों को राहत मिलेगी और उनकी जीवनशैली में गुणवत्ता का स्तर भी बढ़ेगा।
क्या है फिटमेंट फैक्टर और यह कैसे काम करता है?
फिटमेंट फैक्टर वह गुणांक होता है जिसके आधार पर बेसिक सैलरी को बढ़ाकर नई सैलरी तय की जाती है। 7वें वेतन आयोग में यह 2.57 था, यानी पुराने वेतन का 2.57 गुना नई सैलरी बनती थी। अब यदि इसे बढ़ाकर 3.6 किया जाता है, तो ₹14,430 की पुरानी बेसिक सैलरी सीधे बढ़कर ₹51,480 तक पहुंच सकती है। इस एक बदलाव से ही न केवल वेतन में बड़ा अंतर आता है, बल्कि अन्य भत्ते जैसे HRA, TA और DA में भी बड़ा इजाफा होता है क्योंकि ये सब बेसिक सैलरी से जुड़े होते हैं।
कर्मचारियों में उत्साह और अपेक्षाएं
जैसे ही यह खबर फैली कि ₹51480 की बेसिक सैलरी प्रस्तावित है, कर्मचारियों में एक नई उम्मीद जगी है। सोशल मीडिया पर कर्मचारियों के बीच इसको लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। कर्मचारी यूनियनें लगातार सरकार पर दबाव बना रही हैं कि इसे जल्द से जल्द लागू किया जाए। खासतौर पर मध्य और निम्न आय वर्ग के सरकारी कर्मचारी इसे लेकर काफी उत्साहित हैं क्योंकि इससे उनकी आर्थिक स्थिति में क्रांतिकारी सुधार आएगा।